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रविवार, 18 अक्तूबर 2009

प्रकाश की तरंगें छोड़तीं पदचिह्न



''प्रकाश की तरंगें
छोड़तीं पदचिह्न

समय के खेत तक
पहुँचा सकते हैं वे हमें

लेकिन
चलना तो हमें ही होगा
किसान की तरह
सधे कदमों से
अपने खेत की मिट्टी की
पुकार सुनते ही

क्या तैयार हैं हम ?''

>>>>>>> देवराज

3 टिप्‍पणियां:

Vinashaay sharma ने कहा…

अच्छा लगा,चलना तो हमें होगा,किसान की तरह सधे कदमों से ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

दीपावली की शुभकामनाएं। पूजा की थाल को देखकर मन श्रद्धा से भर उठा॥

बेनामी ने कहा…

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बधाई।

बी एस पाबला